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16 लेखनी आधे अधूरे मिसरे -प्रसिद्ध पंक्तियाँ काब्य प्रतियोगिता-09-Jul-2023 कभी किसीको मुकम्मल

   शीर्षक:- कभी किसी को मुकम्मल  जहाँ नहीं मिलता



कभी  किसी को मुकम्मल  जहाँ नहीं मिलता।
यहाँ तकदीर से ज्यादा कभी किसीको नहीं मिलता।।

           यहाँ जो आता  है वह अपने मालिक को भूल जाता है।
           उसे कितना भी मिल जाए  मायाजाल में फस जाता है।।

तमाम उम्र यहाँ इधर उधर कांटौ में उलझता रहा।
ईश्वर को भूलकर झूंठी शानै शौकत में डूबता रहा।।

            जब होश में आया तब तक तो सब कुछ  लेट गया था।
            कुछ  भी न बचा अपनो से भी बहुत दूर  कट गया था।।

अरे पगले यहाँ अपनी मर्जी से तो पत्ता भी नहीं हिलता।
जो तूने पाप पुण्य कमाया है हमें  बही यहाँ  है मिलता।।


आधे अधूरे मिसरे प्रतियोगिता  हेतु रचना।

नरेश शर्मा "पचौरी"


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